लुटेरों से रक्षा

lutere dekh nahin paaye
lutere dekh nahin paaye

मणिधारी दादा गुरुदेव श्री जिनचंद्रसूरि
एक बार आचार्यश्री संघ के साथ दिल्ली की तरफ विहार कर रहे थे । मार्ग में संघ ने सिदानक ग्राम के निकट पडाव डाला । संघ को जब यह मालूम हुआ कि कुछ लुटेरे उपद्रव / जनहानि करते हुए इधर आ रहे हैं तो आचार्य श्री के चरणों में उपस्थित हुए और चिन्ता अभिव्यक्त की ।
गुरुदेव ने कहा – चिन्ता न करो ! सब कुछ ठीक हो जायेगा | किसी का भी अहित नहीं होगा ।
आपने मंत्र ध्यान और इष्ट स्मरण कर अपने दण्ड से संघ के चारों तरफ कोट के आकार की रेखा खींच दी । इसके प्रभाव से यद्यपि संघ उन म्लेच्छों को जाते हुए देख रहा था पर वे संघ को नहीं देख पाये । यह आचार्यश्री की साधना का प्रत्यक्ष चमत्कार’ था |

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